Monday, September 28, 2020

  

स्टूडेन्ट - बाबा 2 से 5 बजे तक का अमृतवेला चाहते हुए भी पक्का नहीं हो पा रहा है।

 

बाबा - इसलिए तो बोला है अमृतवेला सुधारा तो सब सुधर जावेगा। एक तरह का चैलेंज हो गया ना। 


स्टूडेन्ट - बाबा, शरीर से बैठा नहीं जाता। पैर दुखते हैं।


बाबा - जिनकी ड्युटि ही रात को 12 बजे से सुबह 8 बजे तक होती वो कैसे ड्युटि करते हैं ? उनका शरीर दुखता है क्या? पैसे मिलते हैन तो आराम से ड्युटि होती है। यहाँ क्या प्राप्ति होनी है सो दिखाई नहीं दे रही है इसीलिए नींद आ जाती है।


समय-28.50

ये राजधानी स्थापन हो रही है । राजधानी में कोई राजा हो और राजा कोई डायरेक्शन दे और कोई बात ना माने , तो राजा उसे ऊँची कुर्सी पर बैठा देगा क्या ? दंड का भागी बना देगा। सभी तो डायरेक्शन पर चल न सके। जो नहीं चलते हैं उनको वफादार, आज्ञाकारी , फरमानबरदार नहीं कह सकेंगे। ईश्वरीय मत पर तो पूरा चलना पडे़ ना। हुक्मी हुक्म चला रहा है। ईश्वर का हुक्म होता है ना। जो मानेंगे नहीं तो ऊँच पद पाए नहीं सकेंगे। बाकी थोड़ा ज्ञान लिया है तो उस ज्ञान के आधार पर स्वर्ग में तो आ जावेंगे। बस , इतने में  ही खुश हो जाते हैं कि स्वर्ग में तो आ जावेंगे! ये नहीं समझते हैं कि स्वर्ग में भी अनेक प्रकार के मर्तबे हैं। बाप जानते हैं कि ईश्वरीय फरमान पर चल सकते हैं , कब ? कब चल सकते है ? अगर हिम्मत करे तो ईश्वरीय फरमान पर चल सकते हैं परन्तु इतनी ताकत, ताकत नहीं है। लोकलाज , कुल , मर्यादा की मुकाबले करने की ताकत  नहीं है। ये क्या कहेंगे, वो क्या कहेंगे ? ऐसा  हो जावेगा वैसा हो जावेगा ! बाप की मत पर चलने की ताकत नहीं है तो जरूर पद भी ऐसा पावेंगे। स्वर्ग की स्थापना तो एक बाप ही करते हैं ना या इस लोक में जो भी लोग है, वो स्वर्ग की स्थापना करते हैं ? बच्चों को बाप मत देते रहते हैं कि तुम ईश्वर की मत से कितने ऊँच बनते  हो !


Vcd- 737

No comments:

Post a Comment

బ్లాగ్ సందర్శించినందుకు ధన్యవాదాలు. త్వరలో మా స్పందన తెలుపగలము.

Featured Post

ఆధ్యాత్మిక విశ్వ విద్యాలయం ఫరుఖాబాద్. ఉత్తర్ ప్రదేశ్.

ఆధ్యాత్మిక విశ్వ విద్యాలయం ఫరుఖాబాద్. ఉత్తర్ ప్రదేశ్. ఒక సంక్షిప్త పరిచయం ఇక్కడ కింద తేదీలు పుట సంఖ్యలు ఇచ్చినవి గురువు గారి ప్రవచనా...