Monday, July 27, 2020

9-7-20

[15:39, 7/27/2020] Baba 3: VCD 3302   प्रातः क्लास- 05.03.1968
व्याख्या ता. 09.07.2020
समय:-00:00:10
प्रातः क्लास चल रहा था- 05 मार्च,1968। मंगलवार को चौथे पेज पर लगभग मध्यादि के नीचे बात चल रही थी कि वो दुनियावी लोग तो कपड़ा उतार करके, रंगमंच छोड़ करके फिर घर जाते हैं। ड्रामाबाजी पूरी होती है तो घर जाते हैं। अभी तुमको तो ये शरीर रूपी वस्त्र उतार करके पुराने घर से नए घर जाना है। तो पुराना घर तो तमोप्रधान होता है। आत्मा तमोप्रधान बन जाती है और सतोप्रधान में जाना है। नई दुनिया में तो स्वर्ग में सत्वप्रधान शरीर ही होगा। अभी तमोप्रधान चीज़ सो सतोप्रधान में जाए नहीं सकती। तो मुक्ति को भी तो सतोप्रधान कहेंगे और जीवनमुक्ति को भी सतोप्रधान कहेंगे। तो तुम मुक्तिधाम में जाते हो और वहाँ से फिर जीवनमुक्त सतोप्रधान स्वर्ग भोगते हो; क्योंकि प्योर तो ज़रूर चाहिए।
బయట లోకం లో బట్టలు మార్చుకుని రంగస్థలం విడిచి ఇంటికి వెళ్లి పోతారు. ఇప్పుడు మీరు శరీరం అనే వస్త్రం విదిచి పాత ఇంటిని విడిచి కొత్త ఇంటికి వెళ్ళాలి. ఆత్మ తమో ప్రధానం అయ్యింది ఇప్పుడు సతో ప్రధానం అవ్వాలి. కొత్త ప్రపంచం లో స్వర్గం లో సత్వ ప్రధాన శరీరం ఉంటుంది. ఇప్పుడు తమోప్రధాన వస్తువు కనుక వెళ్ళలేదు. ముక్తిని జివ్న్ముక్తిని కూడా సతోప్రధానం అంటారు. మీరు ముక్తి ధామం ద్వారా జీవన్ముక్తి ధామానికి వెళ్తారు. అక్కడ జీవన్ముక్తి లో స్వర్గం అనుభవిస్తారు. కనుక పవిత్రత అవసరం.
अपवित्र आत्मा तो जा ही नहीं सकती है, ना परमधाम, ना जीवनमुक्तिधाम, वापिस ही नहीं जा सकती। इसलिए बाप समझाते हैं कि कोई भी आत्मा, अरे, एक भी आत्मा ऐसी नहीं है! और वो तो शास्त्रों में झूठ बोलते हैं, सब झूठ बोलते हैं कि निर्वाणधाम में गया। अरे, आत्मा सात्विक ना बने तो निर्वाणधाम में कैसे चली जाएगी? कह देते हैं वानप्रस्थ हुआ, वानप्रस्थी, वानप्रस्थ में गया, वाणी से परे गया।
అపవిత్ర ఆత్మ వెళ్ళనే లేదు. పరంధామం వెళ్ళలేదు, జీవన్ముక్తి ధామం కూడా వెళ్ళలేదు. ఆ శాస్త్రాలో జీవన్ముక్తి లోకి పోయాడు అని అబధం రాసేసారు. వానప్రస్థం వెళ్ళాడు అని అబద్ధం రాసేసారు.
 कोई मुक्ति में गया, कोई ब्रह्मलोक में गया! कहते हैं ब्रह्मलोक में लीन हुआ। फिर कहते हैं बुदबुदा पानी में लीन हो गया। क्या-2 बकवास करते रहते हैं। बाबा कहते इस दुनिया की, नारकीय दुनिया की एक भी तमोप्रधान आत्मा सतोप्रधान स्वर्ग में नहीं जाए सकती। एकदम सात्विक, 100 परसेण्ट सात्विक मुक्तिधाम में जाना पडे़। तो ये तो जाने वालों का जैसे सिजरा, सिजरा जानते हैं? माला बनी हुई है। माला में तो अव्वल नम्बर और लास्ट नम्बर होता है ना! तो जो अव्वल नम्बर होगा वो तो ज़रूर 100 परसेण्ट सात्विक होगा। नहीं होगा? तो उसके पीछे-2 सब जाएँगे। तो उसको फॉलो करेंगे ना! फॉलो करने वाले भी नम्बरवार होते हैं कि एक जैसे होते हैं? नम्बरवार होते हैं। तो ये सिजरा बना हुआ है।
ఎవరో ముక్తి పొందాడు. బ్రహ్మ లోకం పోయాడు అంటారు. బ్రహ్మ లో లీనం అయ్యాడు అంటారు. బుడగ నీటిలో కలిసిపోయింది అంటారు. ఏమిటేమిటో చెత్త రాసేసారు. బాబా ఏమంటున్నారంటే ఈ లోకం వాళ్ళు ఈ నరక లోకం వాళ్ళు ఒక్కళ్ళు కూడా సతో ప్రధానం సత్య యుగానికి వెళ్ళలేరు అని. పూర్తి సాత్వికం, 100 శాతం సాత్వికం ఐతే నే ముక్తి ధామం వెళతారు.
पहले तो डीटीज़्म, अव्वल नम्बर धर्म। अल्लाह अव्वलदीन का अव्वल नम्बर धर्म है ना स्थापन किया हुआ! तो वो देवताएँ जावेंगे फिर इस्लामीज़, फिर बौद्धिज़म, फिर क्रिश्चियनिज़म। तो ये इस्लामी, बौद्धी, क्रिश्चियंस तो 2500 साल के अन्दर आए हैं ना! अरे, उनकी तो तिथि, वो क्या नाम टाइम का तो पता है ना! इब्राहिम 2500 साल पहले आए, क्राइस्ट 2000 साल पहले आए इस सृष्टि पर, ये तो सबको मालूम है ना! तो जब से ये विदेशी, विधर्मी धर्मपिताएँ आए हैं तब से ही तो स्वर्ग खत्म हुआ है कि नर्क था या स्वर्ग था? सुख-ही-सुख था? स्वर्ग में तो सुख-ही-सुख होता है; और नर्क में? सुख थोड़ा होता जाता है; और दुख? दुख बढ़ता जाता है।

[15:39, 7/27/2020] Baba 3: VCD 3302   प्रातः क्लास- 05.03.1968
व्याख्या ता. 09.07.2020
समय:-00:05:43
तो देखो, देवी-देवता सनातन धर्म जो स्वर्ग में था उसके बाद इस्लामीज़म, बौद्धिज़म, किश्चियनिज़म ये पीछे आता है और लास्ट में देखो ब्राह्मणीज़म। जब बाप आते हैं तो ब्रह्मा के द्वारा ब्राह्मण पैदा होते हैं। ब्राह्मण किसके बच्चे? ब्रह्मा के बच्चे। तो बच्चे के अर्थ में एक मात्रा बढ़ जाती है ना! ब्रह्मा- ब्राह्मण, विष्णु- वैष्णव, शिव के बच्चे शैव। तो ये किसको भी मालूम नहीं है कि कोई सत्वप्रधान बन कैसे सकता है? किसी को पता है? बाप ही आ करके बताते हैं कि बाप को याद करेंगे पहचान करके तब ही सत्वप्रधान बनेंगे। 
కనుక చుడండి దేవి దేవతల ధర్మం ఏదైతే స్వర్గం లో ఉండేదో దాని తరవాత ఇస్లమిజం, బౌద్ధిజం, క్రిశ్చనిజం ఇవ్వి తరవాత వచ్చాయి, మరి ఇప్పుడు లాస్ట్ లో చుడండి బ్రాహ్మనిజం. తండ్ర(శివ పరమపిత) వచ్చినప్పుడు బ్రహ్మ ద్వారా బ్రాహ్మణులను సృష్టిస్తారు,(తాయారు చేస్తారు) బ్రాహ్మణులు ఎవరి సంతానం. బ్రహ్మ సంతానం. కనుక పిల్లలు అనే అర్ధం లో ఒక అక్షరం పెరిగింది. బ్రహ్మ- బ్రాహ్మణులు, విష్ణు- వైష్ణవులు, శివుని సంతానం శైవులు. కనుక ఎవరైనా ఎలా సత్వ ప్రధానం గా అవుతారో ఎవరికీ తెలియదు. తెలుసా ఎవరికైనా. తండ్రే (శివపరమ పితయే) వచ్చి చెపుతారు, తండ్రిని(శివ పరమపితను) గుర్తుపట్టి స్మృతి చేస్తే నే సత్వ ప్రధానం గా అవగలరు.
कौन-से बाप को? पहले मनुष्य सृष्टि के बाप को पहचानेंगे फिर सत्वप्रधान बनेंगे। ऐसे नहीं मनुष्य सृष्टि के बाप को पहचाना नहीं और सुप्रीम सोल को कोई पहचान ले। सुप्रीम सोल तो निराकार, निरंजन, अकर्ता, अभोक्ता है ना! तो वो निराकार आत्मा तो सदैव ही निराकार है। वो तो इस साकार सृष्टि में साकार तन में, अर्जुन के रथ में प्रवेश करने पर भी निराकारी स्टेज में रहता है या साकारी बन जाता है, गर्भ से जन्म लेता है? नहीं। तो ये किसको भी मालूम नहीं है कि इस दुनिया में कोई भी आत्मा सात्विक स्टेज को कैसे धारण करेगी? क्योंकि कलियुग के अंत में तो सुख भोगते-2, जन्म-जन्मान्तर सुख भोगे ना! स्वर्ग में भोगे, चाहे नर्क में भोगे आत्मा क्षीण होगी ना! कमज़ोर बनेगी ना! तो कमज़ोर बनी आत्मा कलियुग के अंत में तो पूरी ही तमोप्रधान बन जाती है।
 ఏ తండ్రిని తెలుసుకోవాలి ఏ తండ్రిని స్మృతి చేయాలి? మొదట మనుష్య సృష్టి కి తండ్రిని గుర్తుపట్టితేనే అప్పుడు సత్వప్రధానం గా కాగలరు. మనుష్య సృష్టి కి తండ్రి ఎవరో తెలియ కుండా మాత్రం సుప్రీం సోల్ ని ఎవరూ గుర్తించలేరు. సుప్రీం సోల్ ఐతే నిరాకారుడు, నిరంజనుడు, అకర్త, అభోక్త కదా. కనుక ఆ నిరాకార ఆత్మ ఎప్పటికీ నిరాకారుడే. ఆయనైతే ఈ సాకార సృష్టి లో సాకార తనువులో అర్జునుని రధం (శరీరం) లో ప్రవేశించినా కూడా నిరాకార స్టేజి లో ఉంటారు. లేక పొతే సాకారుడై పోతారా? లేదు. కనుక ఈ లోకం లో ఏ ఆత్మ కూడా సాత్విక స్టేజి ఎలా ప్రాప్తి పొందుతుంది అనేది ఎవరికీ తెలియదు. ఎందుకంటే కలియుగం అంతం లో సుఖం భోగిస్తూ 2 జన్మ జన్మాంతరాలు సుఖం అనుభవించారు కదా, స్వర్గం లో భోగించారు, నరకం లో కూడా భోగించి ఆత్మ క్షీణం అయిపోతుంది కదా. బలహీనం అవుతుంది కదా. కనుక బలహీన ఆత్మ కలియుగ అంతం లో పూర్తిగా తమోప్రధానం అయిపోతుంది. 
 तो कैसे सतोप्रधान बनेगी कोई को नहीं मालूम। ये तो लिखा है ना कि मैं प्रजापिता ब्रह्मा के तन में प्रवेश करता हूँ! कि अम्मा के तन में पहले प्रवेश करूँगा? अरे, मैं तो निराकार हूँ! मैं तो गर्भ में, अम्मा के गर्भ में आता हूँ? आता ही नहीं हूँ। तो किसमें प्रवेश करूँगा? हाँ, परम्ब्रह्मा में नहीं प्रवेश करूँगा, मैं परम, इस मनुष्य सृष्टि का जो पार्टधारीयों या आत्माओं के बीच में, मनुष्यों में, मनुष्यात्माओं में जो परमात्मा है, परमपार्टधारी, हीरो आत्मा है उस पुरुष तन में ही प्रवेश करूँगा ना! तो उसका नाम हुआ प्रजापिता ब्रह्मा। तो उसको क्या करना होता है, प्रजापिता को? ब्राह्मण बच्चे कैसे पैदा होंगे? गर्भ से तो पैदा होते नहीं। 
కనుక ఎలా సత్వ ప్రధానం గ అవ్వాలి ఇది ఎవరికీ తెలియదు. శాస్త్రాల్లో నేను ప్రజాపిత బ్రహ్మ తనువులో ప్రవేశిస్తాను. అమ్మ తనువులో కాదు, నేను నిరాకారుణ్ణి, నేను గర్భం లో రాను. అమ్మ గర్భం లో వస్తానా? రానే రాను. కనుక ఎవరిలో ప్రవేశిస్తాను. పరబ్రహ్మ లో ప్రవేశించను నేను పరం ఈ మనుష్య సృష్టి లో పాత్ర ధారులలో మనుషులలో మనుషాత్మాలలో ఎవరు పరమాత్మో పరమ పార్ట్ ధారియో హీరో ఆత్మ ఆ పురుష శరీరం లో మాత్రమే వస్తాను కదా. అయన పేరు ప్రజాపితా బ్రహ్మ, అయన ఏమి చేయాలి బ్రాహ్మణులను సృష్టించాలి, గర్భం లో నైతే పుట్టరు.
वो तो मुखवंशावली हैं। तो प्रजापिता ब्रह्मा का काम है बच्चों को एडॉप्ट करना। एडॉप्ट करना माने? अपने अण्डर दी कण्ट्रोल लेना या नहीं? नहीं? अरे, समर्पण करना है या नहीं करना है? हाँ। तो वो प्रजापिता ब्रह्मा के सामने सारी मनुष्य सृष्टि की आत्माएँ ब्राह्मण बनेंगी या नहीं बनेंगी? बनेंगी तो सबको मन-बुद्धि से ले करके कर्मेन्द्रियों तक भी सरेण्डर होना पड़े या नहीं होना पडे़? नहीं होना पडे़? हाँ।
ఎందుకంటే ఆ సృష్టి ముఖ వంశావళి. కనుక ప్రజాపిత బ్రహ్మ పని పిల్లలను ఎడాప్ట్ చేసుకోవడం. ఎడాప్ట్ చేసుకోవడం అంటే? తన ఆధీనం లో అండర్ ది కంట్రోల్ లో తీసుకోవడమా కాదా? సమర్పణ అవ్వాలా వద్దా? అవ్వాలి. కనుక ప్రజాపిత బ్రహ్మ ఎదురుగా మొత్తం సమస్త మనుష్య సృష్టి అందరు ఆత్మలూ బ్రాహ్మణులు అవుతారా లేదా? అవుతారు. కనుక అందరి మనసు బుద్ధి తో పాటుగా కర్మేంద్రియాలతో సహా సరెండర్ కావాల్సే పడుతుంది. సరెండర్ అవ్వాలా వద్దా? అవ్వాల్సిందే.(అనగా బాబా కి అందరూ 500 , 700 వందల కోట్ల మంది మనుషులు తల వంచుతారు తండ్రి అని వప్పుకుంటారు)  
[15:40, 7/27/2020] Baba 3: VCD 3302   प्रातः क्लास- 05.03.1968
व्याख्या ता. 09.07.2020
समय:-00:10:04
तो ब्राह्मण बच्चे चाहे ऊँची कुरी के हों, चाहे नीची कुरी के हों सबको सरेण्डर तो प्रजापिता के सामने होना ही पडे़गा। तो क्या बन करके होना पडे़गा? शुद्र, वैश्य? नहीं। क्या बन करके? क्षत्रिय? नहीं। ब्राह्मण बन करके, ब्रह्मा की औलाद ही बन करके रहना पडे़। अभी ब्राह्मण, वो भी तो ब्राह्मण हैं ना दुनिया में! नहीं? कहेंगे- हाँ, ब्रह्मा मुखवंशावली हैं। वंशा-अवली माने? कतार है ना! एक के पीछे एक, उसके पीछे अगली पीढ़ी, उसके पीछे अगली पीढ़ी, तो किसके वंश के हुए आखरीन? ब्रह्मा   के वंश के ही कहेंगे सारी सृष्टि? हूँ। तो वो ब्राह्मण तो ब्राह्मण तो हैं और ये भी ब्राह्मण हैं प्रैक्टिकल में। ब्रह्मा की औलाद हैं ना! ये प्रैक्टिकल में है ब्रह्मा। अभी है मौजूद की नहीं? शिव बाप जिस ब्रह्मा नामधारियों में प्रवेश करते हैं, अव्वल नम्बर हो या पाँचवें मुख का हो, पंचानन। तो प्रवेश करते हैं तो ब्रह्मा ही नाम देते हैं ना सभी का! अरे, ब्रह्मा को चार मुख दिखाते हैं, पाँच मुख दिखाते, जिस मुख में भी प्रवेश करेंगे, जब भी प्रवेश करेंगे तो नाम क्या देंगे? ब्रह्मा ही नाम देंगे। तो उसके बच्चे सब क्या हुए? ब्राह्मण ही हुए ना! हाँ। तो मुखवंशावली हुए। तो देखो, समझाते हैं वो दुनिया में तो जिस्मानी वंशावली है। कुखवंशावली हैं, कोख से पैदा, गोद से पैदा होते हैं या मुख से पैदा होते हैं? कोख से; और यहाँ? यहाँ तो भले गोद में लेता हो कोई ब्रह्मा; लेकिन उससे वो तो कुखवंशावली ही कहा जाएगा या मुख का ज्ञान सुन करके निश्चयबुद्धि हुआ? क्या कहेंगे? हाँ, कुखवंशावली हुआ। गोद का नशा, हमने ब्रह्मा बाबा की गोद ली है! अरे, तुमने ब्रह्मा बाबा की गोद ही ली है ना! ब्रह्मा के मुख से जो निराकार शिव ने ज्ञान सुनाया उस पे तो तुमने मनन-चिंतन-मंथन नहीं किया। तुमने मनन-चिंतन करके पहचाना कि मैं कौन-से नम्बर का ब्राह्मण हूँ? जाना? कोई ने जाना? कोई ने नहीं जाना। और जिसने जाना पहले नम्बर में वो तो वो ही है, कौन? वो ही अर्जुन, वो ही आदम, वो ही नर इस मनुष्य सृष्टि का, जितने भी नर हैं उन नर में नरसिंह है कि नहीं? सिंह माना? जितने भी जानवर होते हैं सबका राजा होता है ना! हाँ। बाकी उससे जो छोटे शेर होंगे वो तो उसके जैसे बाल-बच्चे हो गए। नहीं? जंगल में राजा एक होता है या अनेक होते हैं? जंगल में शेर, शेर तो एक ही जंगल में एक ही राजा बनके रहेगा। दो रहेंगे? लड़ेंगे तो कोई जीतेगा कि नहीं? एक जीतेगा वो ही राजा हो गया। तो देखो, वो दुनिया में तो जिस्मानी ब्राह्मण होते हैं और इस दुनिया में जो ब्रह्मा के द्वारा ब्राह्मण रचे जाते हैं उसमें जो अव्वल नम्बर ब्राह्मण है वो तो वो ही आत्मा हो सकती है जो सृष्टि के आदि काल में विश्वनाथ, जगन्नाथ बनी थी। बाप ने आ करके राजयोग बल सिखा करके क्या बनाया था? विश्व का मालिक बनाया था। जगन्नाथ, विश्वनाथ बनाया था। तो वो ही आत्मा 84 के चक्र में आते-2, इस सृष्टि में नीचे गिरते-2 सबसे जास्ती तमोप्रधान बन जाती है। उसी में प्रवेश करता हूँ ना! तो वो पुरूष तन होता है या स्त्री चोला होता है? हाँ, आदि में भी पुरूष, तो अंत में भी? आदि सो अंत एक ही बात होती है कि नहीं? कि बदल जाती है? आदि में पुरूष तो अंत में भी पुरूष। आदि में पिता तो अंत में भी पिता। तो उसके द्वारा फिर ये रूहानी बाप आ करके रूहानी यात्रा सिखाते हैं। क्या? मन-बुद्धि की यात्रा सिखाते हैं या ये कहते हैं कि तुम हाथ-पाँव से चलो? ऐसे सिखाते हैं? नहीं। ऐसे तो नहीं सिखाते कि भक्तिमार्ग की तरह बायजोली खेलते हुए चलते चलो। हाथ-पाँव को जो कर्मेन्द्रियाँ कही जातीं हैं उनको उपयोग करो, ऐसे कहते हैं? नहीं, क्या सिखाते हैं? रूहानी यात्रा तो मन-बुद्धि की यात्रा है।
[15:40, 7/27/2020] Baba 3: VCD 3302   प्रातः क्लास- 05.03.1968
व्याख्या ता. 09.07.2020
समय:-00:16:02
तो ये दुनिया में तो जिस्मानी ब्राह्मण हैं। जिस्म की यात्रा करते हैं, चलो बायजोली भी लगाएँगे तो भी, मंदिर में या तीर्थ यात्रा में बायजोली करते हुए तीर्थ यात्रा करते हैं कोई। करते हैं ना! तो वो तो जिस्मानी हुए। जिस्मानी यात्रा हुई और तुम्हारी? तुम्हारी तो बुद्धि रूपी पाँव, बुद्धि रूपी हाथ की यात्रा है। अरे, हाथ को भी बुद्धि कहा जा सकता है कि नहीं? हाथ से कोई चीज़ कैच की जाती है ना! हाँ। तो ऐसे बुद्धि से भी कोई बात कैच की जाती है और पाँव से चला जाता है, पाँव से दौड़ा जाता है। तो बुद्धि रूपी पाँव से भी रूह जो है वो चलना कर सकती है कि नहीं? भई, धीरे-2 चलेगी। कोई होगा पहलवान, ज़्यादा ताकत होगी आत्मा में तो क्या करेगा? दौडे़गा कि नहीं? हाँ, कोई दौडे़गा। कोई उडे़गा कि नहीं? नहीं उडे़गा? हाँ; और ज़्यादा ताकत होगी तो उडे़गा। और भी ज़्यादा ताकत बढ़ जाएगी प्रैक्टिस की, बढे़गी कि नहीं प्रैकिटस? आत्मा को याद करेंगे, प्रैक्टिस करेंगे तो प्रैक्टिस बढे़गी और बढे़गी तो फिर वो जो उड़ने से भी ऊँची स्टेज पता है? ऐ लो! हाई जम्प! हाँ। हाई जम्प लगाते हैं तो, तो फिर एकदम, एकदम ऊँचे चले जाते हैं। तो बताया, वो हाई जम्प की लिफ्ट बाप दे देते हैं। क्या? क्या? जैसे लिफ्ट होती है ना! तो फट से ऊपर पहुँचाए देती है, तीसरी, चौथी, सौवीं मंजिल में पहुँचाएगी कि नहीं? हाँ, धड़क्के से बटन दबाया और ये गई सर्र से! तो उसी तरह बाप जो है वो बच्चों को लिफ्ट देते हैं। कौन-से बच्चों को? हाँ, जो उड़ने की स्टेज पर पहुँच जाते हैं तो उनको हाई जम्प लगाने की भी ताकत, हिम्मते बच्चे मददे बाप। तो देखो, जिस्मानी ब्राह्मण ऐ है है! ब्राह्मणों में (...) अरे, ये भूत कब भागेंगे? बार-2 सुलाए देते हैं! तो जिस्मानी ब्राह्मणों की बात अलग वो देहभान की यात्रा करते हैं और रूहानी ब्राह्मण? वो रूह की यात्रा करते हैं, आत्मा की यात्रा मन-बुद्धि की पावर से। तो जिस्मानी यात्रा वो तो सभी विकारी ब्राह्मण हैं। विकारी ब्राह्मण माने? विपरीत कर्म करने वाले। बाप ने तो नहीं सिखाया, क्या? कौन-सी यात्रा? देह की यात्रा करना बाप ने सिखाया, देह के आसन करना सिखाया? सिखाया? नहीं सिखाया। अरे, ज्ञानेन्द्रियों का कण्ट्रोल करना सिखाया कि नाक बंद कर लो, साँस ही नहीं लेनी है, प्रणायाम करो, कुम्भक करो! ये, ये देह के कर्म सिखाए बाबा? नहीं। ये देह के कर्म तो तब तक करते रहते हैं जब तक उन आत्माओं में ईश्वरीय सेवा करते-2 ताकत ना आ जाए। क्या? कर्मेन्द्रियों का काम करेंगे तो ताकत आएगी ना ईश्वरीय सेवा की? हाँ। ऐसे ही ज्ञानेन्द्रियों से काम करेंगे, ज्ञान सुनेंगे, मुख से ज्ञान सुनाएँगे, तो सेवा करने से ताकत बढे़गी ना! ईश्वरीय सेवा करेंगे ईश्वर की, तो ईश्वर उनको ताकत देगा कि नहीं? अरे, कुछ पेमेन्ट करते हैं कि नहीं मालिक? हाँ, पेमेन्ट करते हैं।
[15:41, 7/27/2020] Baba 3: VCD 3302   प्रातः क्लास- 05.03.1968
व्याख्या ता. 09.07.2020
समय:-00:20:12
तो देखो, वो विकारी ब्राह्मण जिस्मानी यात्रा करने वाले और तुम निर्विकारी ब्राह्मण, क्या? तुम जब मन-बुद्धि से यात्रा करने का सीख लेते हो तो तुम विकारी ब्राह्मण हुए या निर्विकारी हुए? मन-बुद्धि से दौड़ लगाएँगे, रूहानी यात्रा में रहेंगे, तो उसमें कोई हिंसा होगी? हिंसा तो होगी नहीं। कर्मेन्द्रियों से हिंसा होती है, आँखों से हिंसा होती है, मुख से किसी को डाट-डपट करेंगे, गालियाँ देंगे तो भी, ग्लानि करेंगे तो हिंसा होगी कि नहीं? तो हिंसा होती है, आदमी को दुख होता है। तो बताया कि मैं तो रूहानी यात्रा करना सिखाता हूँ जिसमें तुमको कोई भी किसी प्रकार की डर की बात नहीं है कि हमसे कोई की हिंसा हो जावेगी, कोई दुखी हो जाएगा, हमारा पाप बन जाएगा। दुख देने से पाप बनता है कि नहीं? हाँ, बनता है। तो देखो, ये निर्विकारी बनना जो रूहानी यात्रा में लगे रहें, क्या? कितने प्रकार की रूहानी यात्रा बताई? लेटे-2 याद करेंगे तो नींद आ जाएगी! आएगी कि नहीं? हाँ, नींद आ जाएगी। इसलिए कोई फिर बैठ के याद करते हैं। बैठ के याद करेंगे तो कब तक बैठे रहेंगे? बाबा तो कहते हैं निरंतर याद करना है। तो क्या, तो क्या 24 घण्टे बैठे रहेंगे? नहीं। तो बाप कहते हैं कर्म करते, उठते, बैठते, चलते, फिरते, देखो वो-वो गीता में क्या लिखा हुआ है? श्रृण्वन्, मुख से बोलते, पश्यन्, जाने क्या-2 लिख दिया! अन्यन्, वन्यन्, गनन्, दुनिया भर का पूरा श्लोक बनाए दिया, डेढ़-दो श्लोक! सारे ही शब्द अनन्, वनन्, गनन्। बाप कहते हैं सीधी-2 भाषा में। आजकल भारत  में बाप आते, आजकल ही आते हैं ना कलियुग के अंत में! तो हिंदी में बोलेंगे, भारत में हिन्दी चलती है ज़्यादा या कोई दूसरी भाषा चलती है? अंग्रेजी तो उतने लोग नहीं जानते भले विश्व की भाषा है। और जो भारतीय भाषाएँ हैं दूसरी-2 वो भी तो दक्षिण भारत की हैं ना ज़्यादातर? है ना! हाँ। तो वो भी तो सारे भारत में तो नहीं बोली जातीं। बोली जातीं है? चलो, सारे भारत से दूसरी-2 भाषाओं के लोग राजधानी दिल्ली में आ करके नौकर-चाकरी करते हैं, नहीं करते हैं? हाँ। तो क्या उनकी संख्या बहुत ज़्यादा होगी? वो नौकरी-पेशा करने वालों की संख्या तो बहुत ज़्यादा; और प्रजा की? जो साधारण प्रजा है, सेकण्ड क्लास प्रजा, थर्ड क्लास प्रजा उसकी तो संख्या बहुत ज़्यादा है! तो वो कौन-सी भाषा में बोलते होंगे? दिल्ली तो नार्थ इण्डिया में है कि साउथ इण्डिया में? नार्थ इण्डिया। कौन-सी भाषा बोलेंगे? हाँ, उत्तर भारत में तो सारा उत्तर भारत चाहे यू.पी हो और चाहे वो, क्या नाम, जम्मू काश्मीर हो। हरियाणा हो, पंजाब हो, मध्य प्रदेश भी हो। मध्य प्रदेश में भी हिन्दी चलती है कि नहीं? हाँ। तो बताया, ये सारा नार्थ इण्डिया में हिन्दी बोलते हैं और साउथ इण्डिया आधा अलग। तो वो लोग भी दिल्ली से कनेक्ट हैं, कनेक्शन रखते हैं कि नहीं? नहीं रखना पड़ता है? हाँ, सेन्ट्रल गवर्मेण्ट से तो और कनेक्शन रखना पड़े। अरे, डाकघर में जाएँगे, तो डाकघर में क्या(...)वो डाकघर जो है वो सेन्ट्रल गवर्मेण्ट का है या कोई स्टेट का? डाकघर स्टेट गवर्मेण्ट का है या सेन्ट्रल गवर्मेण्ट का? सेन्ट्रल गवर्मेण्ट का। तो सेन्ट्रल गवर्मेण्ट से किसी को ट्रांसफर किया जा सकता है कि नहीं? हाँ, ट्रांसफर कर देंगे। तो उससे डील करने के लिए प्रजा को थोड़ा अंग्रेजी तो कम-से-कम समझना पडे़ ना! और जो नार्थ इण्डिया से डाकघर में आएगा तो उसको अंग्रेजी जानना ज़रूरी है कि नहीं? हाँ, अंग्रजी तो भाषा ऐसी है कि हाई स्कूल तक भी पढ़ेंगे तो अंग्रेजी पढ़नी पढे़ कि नहीं? हाँ।
[15:41, 7/27/2020] Baba 3: VCD 3302   प्रातः क्लास- 05.03.1968
व्याख्या ता. 09.07.2020
समय:-00:25:09
तो बताया कि ये ब्राह्मण बनना, निर्विकारी ब्राह्मण और रूहानी ब्राह्मण बनना, बताया ये कोई मासी का घर नहीं है। क्या? सबके लिए। सब एकदम रूहानी यात्रा पे पहुँच जाएँगे? जिस्मानी यात्रा करना छोड़ देंगे? नहीं छोड़ेंगे? छोड़ना पडे़गा कि नहीं? हाँ, छोड़ना तो पडे़गा। आज छोड़ें या कल छोड़ें। चलो बेटा है, बाप के घर में जाएगा कि नहीं? तो यात्रा करेगा कि नहीं? अच्छा, अम्मा के पास जाएगा तो भी यात्रा करके जाएगा कि नहीं? और भगत है, मंदिर में जाएगा तो भी यात्रा करके जाएगा कि नहीं? जाएगा। और तीर्थ यात्रा में जाते हैं वो तो यात्री भगत होते ही हैं। तो बताया ये जो यात्रा है, रूहानी यात्रा में लगे रहना ये तो तब ही हो सकता है कि कर्मेन्द्रियों की यात्रा और जो वाचा से जो सेवा करते हैं वो भी वाचा से परे जाएँगे या नहीं जाएँगे? हाँ, वाचा से चाहे कितने भी अच्छा भाषण कर लेते हों। क्या, कर लेते हैं कि नहीं? बेसिक में कौन अच्छा भाषण करने वाला आजकल माना जा रहा है ब्राह्मणों की दुनिया में, पता है? शिवानी; लेकिन वो भी रूहानी यात्रा करना जानती है? जानती है? रूहानी यात्रा करने के लिए तो शिव निराकार बाप जिस साकार मुकर्रर रथ में प्रवेश करते हैं उसको पहचानना पडे़। तो वो पहचानती है? अरे, उसको तो बरगलाए दिया! क्या? जाम हुई मस्जिद ने! जाम है कि नहीं? हाँ, दीवाल जाम होती है कि नहीं? हाँ, दीवाल बनके खड़ी हो गई। सबकी ब्रह्माकुमारियों की बुद्धि को उड़ने से रोक दिया, जाम लगाए दिया। तो देखो, बाप कहते हैं अगर तुमको रूहानी यात्रा में ही रहना है पक्का-2, तो ये जो कर्मेन्द्रियों की यात्रा करते हो, कर्मेन्द्रियों से कर्म करते हो, वाचा से तुम कर्म करते हो भाषणबाजी का, वो भी उससे भी परे जाना पडे़गा या नहीं जाना पडे़गा? आज चले जाओ या, या कल चले जाओ। वानप्रस्थ में जाए बिगर तो रूहानी यात्रा कंटिन्यू होगी, निरंतर होगी? सर झुकाए दिया! नहीं होगी। इसलिए चाहे तो आज कर्मेन्द्रियों की सेवा से परे चले जाओ और चाहे तो आज वाचा की सेवा, भाषणबाजी की सेवा; शिवानी से कहो, कहोगे कि नहीं? हाँ, बताओ जाके कि तुम आज ही चले जाओ; लेकिन जाना तो पडे़गा। आज नहीं जाओगे तो कल जाओगे। कल नहीं जाओगे, दो-चार साल के बाद जाओगे। दो-चार साल के बाद नहीं जाओगे तो कम-से-कम 28-29 तक तो सबकी बुद्धि में आ जाएगा दुनिया में, क्या? नम्बरवार आएगा कि नहीं? हाँ, उनमें भी तो बहुत ऐसे होंगे जो 100 साल का पुरूषोत्तम संगमयुग पूरा होने को होगा तब उनकी बुद्धि में बैठेगा। ऐसे भी होंगे कि नहीं मनुष्य? नहीं होंगे? हाँ, उनकी बुद्धि में बैठेगा। तो फिर 100 साल का संगमयुग कब पूरा हो रहा है? 2036-37 में। तो 2036-37 तक भी अगर कोई इंतजार करे; अरे, हम बाद में चले जाएँगे! जाना है ना! अभी तो जो सहज है सो कर लें। और कठिन काम जो लगता है उसमें बुद्धि रूहानी यात्रा में नहीं ठहरती है तो क्या हुआ? थोड़ा हम ठहर जाते हैं। तो चलेगा? हाँ, तो नीच पद हो जाएगा कि ऊँच पद हो जाएगा? नीचा पद हो जाएगा।
[15:41, 7/27/2020] Baba 3: VCD 3302   प्रातः क्लास- 05.03.1968
व्याख्या ता. 09.07.2020
समय:-00:29:59
तो बताया, ये निर्विकारी बनना कोई मासी का घर नहीं है क्योंकि निर्विकारी बनने के लिए तो क्या? रूहानी यात्रा पर रहना पडे़। भई बात मत पूछो! समझा? विकार नहीं मिलते हैं तो अपना माथा पीटते हैं। क्या कहा? ऐसे भी होते हैं कि नहीं? घरवाली मर जाती है, चली जाती है ना! तो कोई माथा पीटते हैं कि नहीं? हाय! हम क्या करेंगे? अरे, माथा पीटते हैं ना! अरे, माथा पीट-2 के रोते हैं ना! कोई तो सर के, सर को जो है माथे को, दीवाल से टकरा-2 के लूह, लूहु-लिहान भी होते हैं। पीटते हैं, चाकरी मारते हैं! अरे, विकार नहीं मिलता है तो वो, वो पुल पर जा करके कोई-2 तो कूद मरते हैं! ऐसे भी होते हैं। तो कूद मरते हैं। विकार नहीं तो हम मर जाएँगे, कूद जाएँगे। हाँ, तो ऐसे होते हैं ना बच्ची! ऐसे भी हैं; परन्तु अभी तुम जो यहाँ रहते हो, तो यहाँ रहने वालों को तो संग का रंग लगेगा ना! नहीं लगता? हाँ, यहाँ रहते हो, कहाँ? कहाँ रहते हो? यहाँ माने कहाँ? सैन्टरों में, मधुबनों में? हाँ, ब्रह्मा बाप के पास रहते हो। तो ब्रह्मा बाप के पास यहाँ रहते हो तो यहाँ तो तुमको वो नहीं है। क्या? क्या वो नहीं है? वो विचार आता है, क्या? कि हमे विकार नहीं मिलेगा तो हम डूब मरेंगे या पाँचवीं मार से कूद पड़ेंगे या फाँसी लगाए लेंगे, ऐसे विचार आता है? नहीं। यहाँ तो तुमको वगैरह-2 वो विचार, उनमें तो आता तो है ना! उनमे माने? उन दुनिया वालों में तो आता है ना! अच्छा, यहाँ कोई नहीं है जो मरने का विचार करते हैं, ब्राह्मणों की एडवांस दुनिया में या बेसिक ब्राह्मणों की दुनिया में? हाँ। क्यों करते हैं? उनकी बुद्धि बाहर में चली जाती है, वो आत्मा बाहर में घूमती है, दुनियावी हो गए या यहाँ के रहे? कहाँ के रहे? अरे, जिनकी बुद्धि बाहर की दुनिया में ही घूम जाती है और यहाँ से दिल हट जाती है! हटती है कि नहीं? यहाँ से अनिश्चयबुद्धि होते हैं कि नहीं? तो अनिश्चयबुद्धि होते हैं तो बाहर की दुनिया में दिल लग जाती है, तो फिर बाहर की आत्मा हुई कि अंदर की हुई? यहाँ की हुई या बाहर की हुई? अरे, जवाब ही नहीं दे रहा! बाहर की हो जाएगी ना! अरे, दिल हट गई बाप के घर से, बाप से अनिश्चयबुद्धि होने लगे तो दिल तो हट गई! दिल हट गई तो बाहर की दुनिया की आत्मा हो गई और बाहर की दुनिया का संग का रंग लगेगा तो क्या होगा? मन-बुद्धि डाउनवार्ड में जाएगी या ऊँची जाएगी? कहाँ? नीचे जाएगी। गड्ढे में जाएगी। और बाहर की दुनिया में तो कम्पलसरी है, भाई, शादी करो! नहीं है? हाँ, शादी की संस्था तो दुनिया में हर धर्म में मानी जाती है। नहीं मानी जाती? हाँ। किस-न-किस का विकल्प तो आता रहता है ना! विपरीत संकल्प आता है कि भई पुरूष है तो सोचेगा, उसको संकल्प आएगा ये स्त्री मिले, ये कन्या मिले और स्त्री होगी, कन्या होगी नौजवान, तो उसको क्या संकल्प आएगा? कि ये पुरूष मिले, वो पुरूष मिले। तो बाहर की दुनिया में तो जितने भी 500-700 करोड़ जो भी मनुष्य हों, ओ सबका वायब्रेशन क्या चलता है? स्त्री का पुरूष के, पुरूष-2 का स्त्री के प्रति चलता है कि नहीं? तो बाहर की दुनिया में जाएँगे तो वायब्रेशन का असर होगा कि नहीं? अरे, काजर की कोठरी में कैसउ सयानो जाए, क्या कहा? एक लीख काजर की लागी है पे लागी। कोई कहे हम मिनी मधुबन में ही रहेंगे, वहाँ की सेवा करेंगे, तो वहाँ बाप बैठा है?हैं? बैठा है? वहाँ तो बाप नहीं बैठा। तो जहाँ बाप है वहाँ की बात की- यहाँ तो तुम रहते हो। बाप के वायब्रेशन के अंदर रहते हो या बाहर दुनिया के वायब्रेशन में रहते हो? हाँ।
[15:41, 7/27/2020] Baba 3: VCD 3302   प्रातः क्लास- 05.03.1968
व्याख्या ता. 09.07.2020
समय:-00:35:37
तो बताया, बाहर की दुनिया में तो विकल्प चलते रहते हैं। तो बाबा ये विकल्प भी आवें, ये तो ठीक नहीं है। विकल्प आवें इससे तो फिर अच्छा नहीं है। हम बाहर की दुनिया में संग के रंग में क्यों जावें? ज़्यादा-से-ज़्यादा टाइम अपनी मन-बुद्धि से बाहर भी रहें तो बुद्धि हमारी, मन-बुद्धि आत्मा कहाँ रहे? कहाँ-2 भागती रहे? हाँ, मधुबन में, जो ब्रॉड मधुबन है वहाँ कि छोटे-मोटे मधुबन में? छोटे-मोटे मधुबन में बाबा तो एक बार आएँगे साल में, छ महीने में कि वहाँ ही बैठे रहेंगे? और यहाँ तो? यहाँ क्या होगा? यहाँ तो बाबा के पास बच्चे जो बैठे हैं महामधुबन में उनको तो संग का रंग ज़्यादा लगे ना बाबा का! हाँ। तो बाबा ये विकल्प भी छुड़ाए देते हैं। तुमको छुड़ाए देता हूँ। तुम अपन को कहते हैं आत्मा समझो, देह मत समझो। भाई-बहन से भी तुम ठीक नहीं होते हो समझने से, तो क्या करो? आत्मा-2 भाई-2 समझो। हाँ, ऐसे नहीं कि तुम आत्मा-2 भाई-2 समझ करके नहीं रह सकते हो। रह सकते हो कि नहीं? रह सकते हो। कि मर जाओगे, शरीर छोड़ दोगे? नहीं, रह सकते हो। हाँ; परन्तु बाहर की दुनिया में तो जाने से झट गिर पड़ते हैं। क्यों? लिखते हैं ना! बाहर की दुनिया में जाते हैं तो बहुत चिट्ठियाँ लिखते हैं। अरे बाबा! बाबा हमने क्या कर लिया? बाहर की दुनिया में रह के हमने क्या कर लिया? काला मुँह कर लिया। देखो, भाई-बहन होते हैं वो भी बाहर की दुनिया में काला मुँह कर रहे हैं या नहीं कर रहे हैं? हाँ, कर रहे हैं। तो देखो, बाप कहते हैं अरे, तुमने काला मुँह कर दिया! अरे, भाई-बहन को ऐसा विकृत करते हैं, वो क्रिमिनल असॉल्ट कर दिया! क्या? भाई अपनी भ्रष्ट इन्द्रिय से और जो बहन है, निर्विकारी है, कुमारी है, उसका कुमारीत्व भंग करेगा तो खून-खराबा करेगा कि नहीं? नहीं करेगा? तो क्रिमिनल असॉल्ट हुआ कि नहीं? हाँ, क्रिमिनल असॉल्ट कर दिया। इनको तो फाँसी की सजा चढ़ानी चाहिए। तो आज की दुनिया में जो गवर्मेण्ट है, अगर कोई किसी के ऊपर क्रिमिनल असॉल्ट करता है बिना शादी के, तो क्या करती है? फाँसी पर भी चढ़ाए सकती है कि नहीं? नहीं चढ़ाए सकती? हाँ! फाँसी पर भी चढ़ाए सकती है। चढ़ाए देती है कि नहीं? हाँ, चढ़ाए देती है। इनको तो जेल में जाना चाहिए। किनको? जो भाई-बहन हो करके भी प्रैक्टिकल में ओरिजनल भाई-बहन हैं, एक माँ-बाप के बच्चे और फिर भी ऐसा क्रिमिनल असॉल्ट करते हैं, उनको तो फाँसी पे चढ़ाना चाहिए।
[15:42, 7/27/2020] Baba 3: VCD 3302   प्रातः क्लास- 05.03.1968
व्याख्या ता. 09.07.2020
समय:-00:39:29
(05 मार्च,1968 की प्रातः क्लास का पांचवां पेज) क्योंकि बाप कहते हैं, क्या? मैं धर्मराज भी हूँ। क्या हूँ? धर्म का राजा हूँ कि नहीं? अल्लाह अव्वलदीन को जो अव्वल नम्बर धर्म की स्थापना करने वाला धर्मपिता है वो धर्मराज भी है या नहीं? क्या ऑर्डर करेगा? क्या ऑर्डर करेगा? घर में रह करके कोई बच्चा ऐसा क्रिमिनल असॉल्ट करेगा भाई-बहन के साथ, तो क्या करेगा? उसको फाँसी पे(...) हाँ, भई तुम मर जाओ! बेहद की मौत कि हद की मौत? अरे, बेहद का बाप है तो कौन-सी मौत देगा? बेहद की मौत क्या होती है? क्या होती है? हाँ, अनिश्चय बुद्धि हो जाएँगे। बाप के ऊपर अनिश्चयबुद्धि, बाप के परिवार के ऊपर अनिश्चयबुद्धि, होंगे कि नहीं? और जो 5000 वर्ष का ड्रामा है उसमें भी? वो 5000 वर्ष के ड्रामा के ऊपर भी अनिश्चयबुद्धि बनेंगे या नहीं बनेंगे? उस पर भी अनिश्चयबुद्धि क्योंकि 5000 वर्ष की बात बाप के सिवाय और कोई दुनिया में बताता ही नहीं है कि ये दुनिया सिर्फ़ 5000 वर्ष की है। ये जो सृष्टिरूपी रंगमंच है वो चार सीन- सतयुग, त्रेता, द्वापर, कलियुग चार युग का है। तो देखो, ये बाप भी है प्यार देना वाला और फिर अपनी मनमत के ऊपर तुम हठयोगी बनेंगे तो क्या करेगा? धर्मराज भी है। बोलो- अरे, बाप है तो क्या बोलें? बाप है तो प्यार देगा, तो कहेंगे वाह-2! और धर्मराज है तो? तो वाह-2 करेंगे कि हाय-2 करेंगे बाहर की दुनिया में जा करके? क्या हाल होगा? अरे, क्या हाल होगा? हाय-2 करेंगे कि वाह-2 कहेंगे? हाय-2 करेंगे। तो बताया, मैंने तुमको कहा कि तुमको भाई-बहन हो करके रहना है। ऑर्डर किसने दिया? सुप्रीम सोल बाप जो धर्मराज भी है उसने ऑर्डर दिया कि तुम घर में रहो तो क्या बन करके रहो बाप के घर में? भाई-बहन बन करके रहो। कैसे? नहीं? बाप के घर में भाई-बहन बनके नहीं रहेंगे? कहते हैं हम भाई-बहन बनके नहीं रहेंगे बाप के घर में। सुप्रीम सोल बाप के घर में भाई-बहन बनके नहीं रहेंगे। भाई-2 बनके रहेंगे? कब से शुरू कर रहे? मुस्कुराए रहा! अरे, कब से शुरू कर रहे? एक प्रतिज्ञा लिखी वो तो तिड़ी-बिड़ी होने लगी! वो देखो कागज़ में लिखी हुई पड़ी है! अब दूसरी प्रतिज्ञा कब से शुरू कर रहे? भाई-बहन बनके रहेंगे? अरे, कब से? बता दो ना! नहीं बताएँगे? तुमको नहीं बताएँगे! हम-2 जब देखेंगे मजबूत हो गए, हाँ, तब। अच्छा, ठीक है! मैंने तुमको कहा कि भाई-बहन बनके रहो और तुमने उनसे खराब काम कर दिया? तो मैं कौन-सा रूप धारण कर लेता हूँ? धर्मराज का रूप धारण कर लेता हूँ। फिर क्या करेंगे? चाहे कोई कहता है कि हमने कर्मेन्द्रियों से तो नहीं किया, हमने तो आँखों से किया। आँखें में आँखें लड़ाए के हम बैठ गए। हमें मजा आता है आँख लड़ाने में। तो बाप कहेंगे देखो, तुम्हारे वायब्रेशन में भी आया होगा कि नहीं? नहीं आया होगा? हाँ, वायब्रेशन में आता है तो वो आँखों में भी आएगा। आँखों में आता है तो फिर आज नहीं तो कल वाचा में भी आने लग पडे़गा, तुम यार-प्यार की बातें करने लग पड़ेंगे आपस में। नहीं करेंगे? हाँ। और फिर कर्मेन्द्रियों में भी आएगा या नहीं आएगा? आएगा। तो तुम अगर मंसा में ही कट कर दो हमेशा के लिए, वायब्रेशन ही तुम्हारा कोई, मन का संकल्प का ऐसा वायब्रेशन ही ना चले, क्या, कैसा? कि हम भाई-बहन हो करके कोई भी प्रकार का विपरीत संकल्प चलाएँगे घर-परिवार में कि ये हमारी बहन नहीं है, ये हमारी घरवाली है। घरवाली है, तो घरवाली के साथ हम उसे माता बना के रखेंगे, हम पिता बनेंगे, वो माता बनेगी, बच्चे पैदा होगा। होगा कि नहीं? हाँ।
[15:42, 7/27/2020] Baba 3: VCD 3302   प्रातः क्लास- 05.03.1968
व्याख्या ता. 09.07.2020
समय:-00:45:02
तो देखो, फिर बदनामी करेंगे बाप की कि सदनामी करेंगे? क्या करने के निमित्त बनेंगे? बदनामी हो जाएगी। तो भाई से और कोई क्रिमिनल काम करे, बहन या बहन भाई से करे या भाई बहन से करे। तो देखो उनको कितनी सजा मिलती है। घर-परिवार में भी, लौकिक दुनिया में भी जो अच्छे घरवाले होंगे, ब्राह्मण परिवार ऊँच कुल के होंगे, ऊँचे ब्राह्मण होंगे और उनको ये पता चले कि हमारा बच्चा, हमारा बच्ची आपस में ऐसे धंधे कर रहा है, तो धुनाई-पिटाई कर देगा कि नहीं? सजा नहीं देगा? सजा कर देगा। हाँ। भले माँ-बाप हैं, बच्चों के प्रति मोह रहता है, मौत की सजा नहीं देंगे। देंगे? जान से मार देंगे? नहीं, मौत की सजा नहीं मिलती है। बड़ी जेल की सजा मिल जाती है। अगर भाई-बहन हो करके भी ये धंधा घर में रह करके नहीं छोड़ेंगे और बाप को पता चला कि ये तो वो ही धंधा कर रहा है, तो फिर? तो उनको घर से निकालने का वारंट जारी करेगा कि नहीं? हाँ। नहीं निकलेंगे, जबरदस्ती करेंगे तो पुलिस, पुलिस में इन्फोरमेशन देगा कि नहीं? एफ.आई.आर दर्ज कराएगा ना! एफ.आई.आर दर्ज कराएगा। अखबार में निकालेगा और फारकती दे देगा कि नहीं? नहीं देगा? फारकती देगा, तो फिर तो गवर्मेण्ट फिर उसको कान पकड़ के ज़ल्दी से बाहर निकालेगी कि नहीं? निकालेगी ना! और फिर भी अगर बीच में आएगा तो पुलिस दुबारा पकडे़गी तो ज़्यादा सज़ा देगी या कम सज़ा देगी? एक-दो बार तो भगवान भी माफ करता है। नहीं करता? फिर अगर नहीं मानेंगे तो फिर सज़ा बढ़ती जाएगी ना! हाँ। तो देखो, बड़ी जेल की सज़ा मिल जाती है। छोटी जेल, बड़ी जेल भी होती है कि नहीं? हाँ। बहुत से ऐसे डिस्ट्रिक्ट्स हैं, जिले हैं जिनमें छोटी जेल भी होती है, बड़ी जेल भी होती। नहीं? हाँ। तो देखो, कोई दूसरे से विकार करते हैं, पराई स्त्री से करते हैं, तो भी उनको जेल मिल जाती है। नहीं? हाँ; और ये तो तुमने घर में ही गंदा काम करना शुरू कर दिया। अच्छा, जो वैश्य होते हैं, वैश्य माने विषीयस। विषीयस माने? विषय-विकारों में रचे-पचे। किसको कहा जाता है विष? जो विषय-विकार छोड़ ही नहीं पाते, विषीयस। विष किसको कहा जाता है? बताया कि नहीं? हाँ। हाँ, पराई स्त्री का भोग करना ये विषीयसपना है। पर-पुरूष का भोग करना ये विषीयसपना है। देखो, आज की गवर्मेण्ट भी ये बात मानती है कि नहीं? समाज में भी ये बात मानी जाती है कि नहीं? हैं? कि अच्छा समझते हैं, बुरा समझते हैं समाज में? हाँ, बुरा ही समझते हैं। तो जो विषीयस होते हैं उनके पास जाते हैं तो कोई जेल की बात नहीं निकलती है क्योंकि भाई, हमारा कुल ही वैश्य कुल है, विषीयस हैं हम तो। अरे, अब हम तो गिरी हस्ती के हैं! ऐसी गिरी हस्ती के घर-गृहस्थ में रहते हैं तो उनको तो इस्लामी कहेंगे कि नहीं? इस्लामी वैश्य होते हैं या क्षत्रिय होते हैं? क्या कहेंगे उनको? विषीयस होते हैं कि नहीं? व्यभिचारी बनते हैं कि नहीं? भाई-बहन में, उनमें इस्लामियों में शुरूआत से ही, आदि से ही विकार चलते रहे हैं कि नहीं? भाई-बहन में शादी करते थे कि नहीं? हाँ। क्योंकि इब्राहिम आया तब तो भारतवर्ष में देवता धर्म था उससे पहले। था ना! देवताएँ तो आपस में भाई-बहन तो क्या, अरे, उनकी तो किसी के साथ आँख भी, आँख भी नहीं डूबती है!
[15:42, 7/27/2020] Baba 3: VCD 3302   प्रातः क्लास- 05.03.1968
व्याख्या ता. 09.07.2020
 समय:-00:49:59
तो देखो, जब द्वैतवादी द्वापरयुग शुरू होता है तब ये दूसरे-2 धर्म वाले धर्मपिताएँ आते हैं और उनसे ये विषीयस कर्म शुरू होता है। उनको कहा जाता है वैश्य। उन्होंने ये विषीयस धर्म चलाया, वैश्य बनाया। नहीं तो बाप आ करके क्या बनाते हैं? बाप आ करके ब्राह्मण बनाते हैं। ब्राह्मण से फेल हो गए और अव्वल नम्बर के फेलियर हुए तो फिर उसको विश्व का मालिक बनाए देंगे ज़्यादा-से-ज़्यादा। बनाएँगे कि नहीं? हाँ, विश्व का मालिक बनाए देंगे। तो देखो, विश्व का मालिक बनाएँगे, तो वो क्षत्रिय होगा बाण मारने वाला, अव्वल नम्बर का क्षत्रिय होगा बाण विद्या सीखने वाला या छोटा-मोटा क्षत्रिय होगा? हाँ, अर्जुन को तो बाण विद्या में बहुत ऊँचा मानते हैं ना! तो अव्वल नम्बर का अर्जुन जो नरों में नरसिंह कहा जाता है, वो तो कौन हुआ? अर्जुन हुआ कि नहीं? हाँ। तो बताया, अगर वैश्यों के पास जाते हैं तो जेल की बात नहीं होती। माने इस रूहानी यात्रा में भी यात्रा करने वाले अगर वैश्य धर्म में जा करके जन्म लेना शुरू करेंगे इस सृष्टिरूपी रंगमंच पर, तो उनको जेल होगी? उनको सज़ा मिलेगी? सज़ा मिलती है? हाँ, उनको सज़ा नहीं मिलती है। सज़ा की बात निकलती नहीं क्योंकि वो हैं ही वैश्य, विषीयस। इस्लामी विषीयस हैं कि नहीं? व्यभिचारी हैं कि नहीं? एक स्त्री से उनका काम चलता है कि धर्म में उनके नूँध है कि भाई, एक आदमी एक बार में ही अपनी जिंदगी में दो/तीन/चार भी औरतें रख सकता है कि नहीं? हाँ। क्यों, ऐसा नियम क्यों बनाया? क्योंकि उनमें काम वासना अति की होती है या साधारण होती है? अति की काम वासना होती है। तो बाप बैठ करके समझाते हैं- देखो, ये भारत तो बिल्कुल ही पवित्र था। बिल्कुल ही माने? मंसा में भी, वायब्रेशन में भी विषीयसपने की बात आती ही नहीं। विकारों की बात आती थी? विकारों की भी बात नहीं उसकी भ्रष्ट इन्द्रियों से विपरीत कर्म करें। वहाँ तो स्वर्ग में तो हुईए काम अनंग। काम जो है, काम देवता वो परेशान करता है? अंग ही नहीं है तो तंग कहाँ से करेगा? अरे, काम विकार का अंग है तो तंग करेगा! और वहाँ तो, स्वर्ग में तो ना स्त्रियों को, ना पुरुषों को वो काम विकार का ना छोटा, ना बड़ा, होता है? नहीं होता। तो देखो, मैनें जो धर्म स्थापन किया था वो तो बिल्कुल ही पवित्र धर्म स्थापन किया था। ओम शान्ति!

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బ్లాగ్ సందర్శించినందుకు ధన్యవాదాలు. త్వరలో మా స్పందన తెలుపగలము.

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